तुम धूप का वो टुकड़ा हो
जब से होश संभाला है, जानती हूँ उन्हे
मिली हूँ पर मिली नहीं, देखा हैं पर देखा भी नहीं
पड़ोस में हैं पर पड़ोसी नहीं, दोस्ती तो है पर दोस्त नहीं
खट्टे मीठे, गोल मटोल, चटपटे अनारदाने जैसे दोस्त
आड़े तिरछे, मुड़े तुड़े, रस्सी की मजबूत अकड़न जैसे सयाने मेरे दोस्त
कभी इधर कभी उधर, मूँगफली के छिलकों जैसे हल्के मगर सेहतमंद दोस्त
कि सिल्क पर जरदोज़ी का काम की हुई
साड़ी का तोहफा देकर खुश कर दोगे मुझे?
हो जाती मैं...
मेरे बाबाअलसाई सी गर्मी की शाम है
घड़ी पर ठीक चार बजे हैं
एक नज़र जब चारो ओर देखती हूँ
तो सब मीठी नींद में सो रहे है
कहीं खाली सोफा, तो कहीं सिकुड़ा सा लिहाफ
मेज़ पे रखा एक अदना सा ऐनक......................Read More
एक नज़र जब चारो ओर देखती हूँ
तो सब मीठी नींद में सो रहे है
कहीं खाली सोफा, तो कहीं सिकुड़ा सा लिहाफ
मेज़ पे रखा एक अदना सा ऐनक......................Read More
She was running free.
Bare and naked,
Across boundaries, maps and fences
Butterflies followed her dances
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